Friday, July 25, 2014

सफ़ेद कमीज ....





बादलों की 
आवाजाही के बीच
आज धूप
बहुत उजली थी ....
उफ़क से आई थी ,
बिल्कुल तुम्हारी उस 
झक सफ़ेद कमीज की तरह ,
जिसके बटन में 
कभी मेरा इक बाल 
अटका था ...... !


प्रियंका राठौर  

Monday, July 21, 2014

वो बारिश ....




कल रात फिर 
तेज बारिश हुयी थी ,
और 
बूँद बूँद से टपकते तुम 
मेरे अहसासों को 
पूरा तर कर गए |
अब -
सुबह गीली है ,
आत्मा की नमी 
बिस्तर के सिरहाने पड़ी है |
दिमाग का सूरज 
अहसासों के बादल से बाहर
नहीं आना चाहता ,
आज फिर मुझे 
'तुम' होकर ही दिन गुजारना होगा |


प्रियंका राठौर 

Friday, July 18, 2014

नमी .....




तेरी गीली मुस्कराहटों से 
भीगे हुए लम्हें
बूँद - बूँद 
मेरे जेहन पर 
टपकतें हैं .......


अब सब नम है .....!


प्रियंका राठौर 

Monday, July 14, 2014

आज फिर ....





आज फिर -
हथेलियों से उन्हीं लम्हों को छुआ ,
जिन्हें कभी हमने साथ जिया था |

पता नहीं -
तुम्हें ढूँढा 
या 
खुद को पाया ,

लेकिन -
मन का झोला अभी भरा भरा सा है |

कह नहीं सकती -
तुम्हारे अहसासों से 
या  फिर 
दर्द की कतरनों से ....
या शायद -
दोनों ही से ...... !



प्रियंका राठौर