Thursday, March 28, 2013

यार – तुम लड़के .......





यार –
तुम लड़के .......
क्यों नहीं किसी एक के
हो पाते हो ....
बस –
भवरें की तरह ,
हर फूल पर मंडराते हो .....!
या कुछ यूँ कहूँ ...
जो भी
किसी एक का
ना हो पायेगा ,
जीवन भर उस भूत की तरह
किसी अँधेरे कुएं से
निकलने की आस में
अकेले फड़फड़ायेगा .....
सुकून ना मिल पायेगा ....
सुकून ना मिल पायेगा .....!!!!!!

प्रियंका राठौर 

Monday, March 4, 2013

पलाश के फूल .....




जब पड़ा था 
पहला कदम तुम्हारा 
मेरे आँगन में ,
तब -
वो फूल  ही तो थे 
पलाश के ,
जो बिखरे थे 
मेरे आँचल में ......!!!!!


प्रियंका राठौर