मै 'असम '
भारतीय संस्क्रति का
सिरमौर 'असम ' ..................
आज -
जलता , झुलसता
असम बन गया हूँ ...................
दर्द की कतरनों से
कई सवाल जेहन में
उभर रहे हैं ....
हिंसा के इस दौर को
मै क्या नाम दूँ ?
क्षेत्र विशेष समस्या
या फिर
साम्प्रदायिकता ......
अतीत के गोल - गोल
छल्लों में जब
अपना प्रतिबिम्ब देखता हूँ ,
तो आज की
समस्या की जड़
मुंह बाये कुछ हद तक
नजर आती है .....
राजनैतिक स्वार्थों की तुष्टि
आज की समस्या को
विकराल और साम्प्रदायिक
बनाने में कसर नहीं छोडती ..........
कभी मै अपने
आदिम स्वरुप के साथ
फलफूल रहा था .....
मेरी संतानें अपनी ही
सांस्क्रतिक , सामाजिक और
आर्थिक परिवेश में
मगन थीं ....
जिन्दगी बढ़ रही थी ,
तभी -
नए पडोसी का अस्तित्व जन्मा ....
उसकी संतानें
अपनी तकलीफों से भाग
मुझमें समाने लगीं .....
मै भारत वर्ष का लाल
कैसे न उनको
शरण देता -
'अतिथि देवो भव '
अपनाते -अपनाते
आज मेरी संतानों के लिए ही
जगह कम पड़ गयी ..........
समस्याएं विकट हैं
सामाजिक -आर्थिक ढांचे के
इस घालमेल में
संतुलन बैठाते बैठाते
ज्वालामुखी फट गया है .........
मेरा अंतस -
करुण , विकल हो
कराह रहा है .....
लाखों लोग अपने ही घर में
बेघर हो शरणार्थी
हो गए हैं .....
आह !
मेरी त्रासदी और विडंबना यही है -
की उनको मै किस नाम से
पुकारूँ ------
बोडो हिन्दू या फिर अल्पसंख्यक मुस्लिम
इस समय -
दोनों का दर्द एक सा है
एक सी ही तड़प है
और रह रहें हैं वे
एक ही साथ शरणार्थी शिविरों में ....
क्या हो अब -
मेरे अन्दर ,
सिर्फ यही सवाल
अशेष है ......
सोचने समझने की शक्ति
क्षीण हो चली है .....
बस कुछ -कुछ महसूस
कर पा रहा हूँ ......
एक क्षेत्रीय समस्या
जो समस्या न थी
आज साम्प्रदायिक समस्या
के रंग में रंग रही है ....
राष्ट्रीय हितों को रख ताक पर ,
कुछ स्वार्थी लोगों की
संकीर्ण नीतियों से
ये हालात हो गएँ हैं पैदा .....
अभी भी कुछ हो सकता है ------
एक और कश्मीर
बनने से बचा जा सकता है .......
क्योकि -
समस्या का मूल
जातीय आधार नहीं है
वरन आर्थिक ज्यादा
व् कुछ हद तक सामाजिक है ........
बढती आबादी के साथ
क्षेत्र कमतर होते जा रहे हैं
भूख , गरीबी , अशिक्षा ,
पिछड़ापन बढ़ता जा रहा है .......
हे ! नीति नियंताओं ....
तुमसे गुजारिश है ,
कुछ 'मूल' के तथ्यों को
भी समझो
इस ओर देखो
और श्रम के अनुबंधों का
निबाह करो ......
शायद कुछ
सार्थक हल निकल आये ......
मै फिर पुराना 'असम '
बन जाऊ ....
सिरमौर , खुशहाल
कामरूप 'असम ' ..................... !!!!!!!!!!!!
प्रियंका राठौर