चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
जनम जनम की बातें थी
पर एक जनम न कट पाया
रूठने मनाने के मंथन में
अपना सर्वस्व ही लुटा बैठे .....
खोज - खोज कर तुमको
हर चेहरे में जीवन ही रीत गया
ढूँढने और करीब आने की दौड़ में
अपना वजूद ही मिटा बैठे .....
क्या थे हम और
खुद को क्या बना बैठे .....
चलते हुए तेरे नक़्शे कदम पर
अपनी जिन्दगी ही भुला बैठे .......!!!!
प्रियंका राठौर