Thursday, June 30, 2011

चाल जिन्दगी की....







किसी के होने
न होने से
क्या जिन्दगी
रुकी है कभी
वह तो बस
चलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .....
अगर मिल गयी
जिन्दगी की ताल
से चाल
दुनिया मुट्ठी में
अन्यथा -
यूँहीं ढुलके हुए
बेजान लट्टू
की तरह
फिर किसी हाथ
और किसी डोरी
के इंतजार में ......
जिन्दगी तो बस
चलती है
चलती जाती है
अपनी मंथर गति से .......




प्रियंका राठौर

Monday, June 13, 2011

तेरी ही कमी ......






जहाँ से पाया ,
उसको जोड़ा ,
जिसको देखा,
उसको अपनाया,
बूँद  बूँद से ,
संसार बसाया ....
इस जोड़ने 
और  घटाने के क्रम में ,
कहीं अंतस ने -
एक अहसास जगाया 
है तो सब कुछ 
इस संसार में 
फिर भी  न जाने क्यों 
कुछ है कम सा ....
जीवन है ,
लोग हैं ,
सुख - दुःख और 
हैं खुशियाँ ,
फिर क्या -
ये क्षीण  सा आभास है ...
तभी -
दस्तक हुयी 
तेरी यादों की .....
हाँ -
यही तो कम है -
सब कुछ है 
इस संसार में -
पर -
तेरी ही कमी बड़ी है .....
हाँ -
तेरी ही कमी बड़ी है .....

जहाँ से पाया ,
उसको जोड़ा ...................!!





प्रियंका राठौर