Saturday, April 9, 2011

दिल को सुकून ....






बीते हुए लम्हों में
तेरे होने का अहसास
दिल को सुकून देता है ....
यादों के बसेरे में ,
कभी बारिश की रिमझिम में
ख़ुशी और गमों की धूप में
तो कभी तेरी तस्वीरों में
तेरे होने का अहसास
दिल को सुकून देता है ....
स्वप्नलोक की इस नगरी में
रत्न जडित जोड़े में लिपटी
उस सुर्ख लाल आभा का तेज
उन खनकती रुनझुन में
तेरी हंसी की मिठास
तेरे नाम से जुड़े खुद के नाम में
वजूद के स्थायित्व का अहसास
दिल को सुकून देता है .....
बीते हुए लम्हों में
तेरे होने का अहसास
दिल को सुकून देता है ......





प्रियंका राठौर

14 comments:

  1. बहुत खूबसूरत रचना ...बस यह एहसास ही है जो सुकून देता है

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  2. यह सकून देती रचना अच्छी लगी।

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  3. पुरसुकून और ह्रदय ग्राही कविता के लिए आभार . मन अह्वलादित हुआ .

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  4. बीते हुए लम्हों में
    तेरे होने का अहसास
    दिल को सुकून देता है ......
    bahut hi achhi rachna

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  5. सुन्दर.....शानदार भावों से भरी पोस्ट.....

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  6. कुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।

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  7. सुकून का अहसास देती खूबसूरत रचना.

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  8. सुन्दर नये प्रतीकों वाली सुन्दर रचना । बधाई ।

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  9. सुकून मिल गया ऐसा अहसास हुआ हमको , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ,बधाई

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  10. दिल को सुकून देता है .....
    बीते हुए लम्हों में
    तेरे होने का अहसास
    bahut khoob
    sahitya surbhi

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  11. बीते हुए लम्हों में
    तेरे होने का अहसास
    दिल को सुकून देता है ....

    वाह!

    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  12. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  13. bahut achcha likha hai aapne........thanks

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