Thursday, March 24, 2011

दूर जाकर भी.....






दूर जाकर भी तुमसे
दूर जा ना पाती  हूँ ....
अहसासों के आसमां में
अब भी प्रीत का सूरज उगता है ...
यादों के उन झुरमुट में
पंछी उम्मीद के कलरव करते हैं ...
आज भी मंदिर के उस घंटे में
आवाज तुम्हारी सुनती हूँ ...
वही रखी वह शिव की मूरत
तुममे ही बदलती जाती है ....
कभी पलकों की ओट तले
जब बूंदें ठिठक जाती हैं ...
उसी पल तुम्हारे होने की आस से
अधरों पर हंसी इठलाती बलखाती है ...
मन के इन पन्नों पर
हर पल नाम तुम्हारा पढती हूँ ...
कैसे जाऊ -
कहाँ जाऊ -
दूर जाकर भी तुमसे
दूर जा ना पाती हूँ .............!!





प्रियंका राठौर

11 comments:

  1. वही रखी वह शिव की मूरत
    तुममे ही बदलती जाती है ....
    कभी पलकों की ओट तले
    जब बूंदें ठिठक जाती हैं ...

    सुन्दर भाव ..अच्छी प्रस्तुति

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  2. प्रियंका जी,

    शानदार पोस्ट......मुझे लगता है इस पोस्ट के दो अर्थ निकलते हैं एक सांसारिक प्रेम.....जो अपने उच्चतम तल पर है और एक आध्यात्मिक......बहुत शानदार ......हैट्स ऑफ इस पोस्ट के लिए ....

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  3. 'वहीं रखी वह शिव की मूरत, तुममे ही बदलती जाती है...'
    क्‍या खूब लिखा है।
    भावपूर्ण् रचना।
    शुभकामनाएं आपको।

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  4. आज भी मंदिर के उस घंटे में
    आवाज तुम्हारी सुनती हूँ ...
    वही रखी वह शिव की मूरत
    तुममे ही बदलती जाती है ....pyaar ise hi kahte hain

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  5. मन के इन पन्नों पर
    हर पल नाम तुम्हारा पढती हूँ ...
    कैसे जाऊ -
    कहाँ जाऊ -
    दूर जाकर भी तुमसे
    दूर जा ना पाती हूँ .......
    बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब और भावपूर्ण रचना के लिए आपको ढेर सारी बधाइयाँ!

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  6. मन के इन पन्नों पर
    हर पल नाम तुम्हारा पढती हूँ ...
    कैसे जाऊ -
    कहाँ जाऊ -
    दूर जाकर भी तुमसे
    दूर जा ना पाती हूँ .............!!

    प्रेम की यही तो मज़बूरी है...बहुत भावपूर्ण रचना...बहुत सुन्दर

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  7. aap sabhi ka bahut bahut dhanybad...
    @rashmi ji- haa rashmi ji yhi pyar hai..
    jo dikhaya nahi jata...dikh jata hai... :)
    aabhar

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  8. बहुत भावपूर्ण रचना| धन्यवाद्|

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  9. प्रियंका जी आप मेरे ब्‍लाग मे आकर इस दिलचस्‍प रपट को पढिए।
    आपके कमेंट के इंतजार में,
    http://atulshrivastavaa.blogspot.com/2011/03/blog-post_26.html

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  10. कैसे जाऊ -
    कहाँ जाऊ -
    दूर जाकर भी तुमसे
    दूर जा ना पाती हूँ .............!!

    waaaaahhhhhhhhhhhh!!!!!!!!!!!!

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  11. दूर जाकर भी तुमसे
    दूर जा ना पाती हूँ ........बहुत ही खुबसूरत प्यार भावो से रची.. रचना...

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