Wednesday, November 10, 2010

हो गयी मै तो जोगन रे......







हो गयी मै तो जोगन रे ,
छोड़ चुनरिया लाज शरम की ,
अपनी सुध - बुध खोयी रे !
अंजन छूटा , छूटी मेरी बिंदिया रे ,
कंगन टूटा , रूठी पाजेब की झंकार रे ,
लाल लूगड़ा ज्वाला लागे ,
श्रंगार तड़पन बन जाये रे ,
विरहन की अग्नि में जल - जल ,
हो गयी तेरी परछाई रे !
हैं सांसें अब मद्धम - मद्धम ,
जीवन मेरा छूटा जाये रे ,
ओढ़ ओढ़नी जोग की तेरी ,
हो गयी मै तो जोगन रे !!




प्रियंका राठौर

15 comments:

  1. हैं सांसें अब मद्धम - मद्धम ,
    जीवन मेरा छूटा जाये रे ,
    ओढ़ ओढ़नी जोग की तेरी ,
    हो गयी मै तो जोगन रे !!
    sundar atisundar badhai

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  2. लाल लूगड़ा ज्वाला लागे ,
    श्रंगार तड़पन बन जाये रे ,
    विरहन की अग्नि में जल - जल ,
    हो गयी तेरी परछाई रे !

    बेहद सुंदर प्रस्तुति....

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  3. लाल लूगड़ा ज्वाला लागे ,
    श्रंगार तड़पन बन जाये रे ,

    waah kya likha hai ... kamaal kar diya ... :)

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  4. सुंदर रचना प्रेम व समपर्ण से ओत प्रोत कविता

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  5. आप सभी का बहुत बहुत धन्यबाद !

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  6. सुन्दर रचना!
    इस पोस्ट की चर्चा चर्चा मंच पर भी है!
    http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/335.html

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  7. very nice Priyanka .........amazing
    thanks to u sister visit my blog

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  8. बहोत खूबसूरत लिखा है प्रियंका जी..

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  9. Ab kya kahu apke likhne ke baare me, bas itna kahunga, kya baat kya baat kya baat

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