Saturday, October 30, 2010

एक रीतापन है......






एक रीतापन है ,
साँझ की ओट में छिपता सा ,
अंधकार से बचता सा ,
झूठी रुनझुन ,
झूठी जगमग ,
सबमे खोता सा ,
एक रीतापन है -
स्याही के बीच ,
दागों से बचता सा ,
कलम की ओट में छिपता सा ,
गहराई और यादों के बीच ,
एक रीतापन है .......!


(रीतापन - खालीपन )



प्रियंका राठौर

10 comments:

  1. The loneliness aptly defined..........good one

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  2. अब अकेलेपन में मजा आता है...पहले खलता था..

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  3. अच्छी कविता है..

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  4. आपके लिखे कुछ अंश पढ़े, छोटे छोटे टुकड़े मौलिकता लिए हुए हैं... शब्द संधान कि काबिलियत भी नज़र आई.. लिखिए... मेरी शुभकामनाएं

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  5. यह रीतापन भी नए मायने दे देता है...ज़िंदगी को...कभी-कभी

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  6. बहुत सुन्दर रचना...
    सादर बधाई...

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